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मंगल ग्रह पर जीवन

जीव से बुद्धिजीवी

by व्यास योगेश 'राजस्थानी'

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गोरा गोल चहरा, काली आंखों पर काला गोल चश्मा, हल्के बड़े बाल , माथे पर शिकन , खादी का कुर्ता पहने बुद्धिजीवी जी सामने पड़े चारद पांच पन्नो को टटोल रहे थे । आज हम अपने एक कार्यक्रम ‘साक्षात्कार’ के तहत उनसे जीव से बुद्धिजीव बनने तक के सफर पर बात करने वाले थे। हमारे पहुचते ही उन्होंने सामने पड़ी पुरानी किताबो को बंद कर दिया और हमारी ओर घूम कर बैठ गए। “और क्या हाल चाल है ?” उन्होंने पूछा ।”हमारे तो एक दम मज़े है!” हमने बताया ।”आप कैसे हो ?”हमने पूछा।”हम भी एक दम बढियां है।” उन्होंने बताया । कुछ देर ऐसे ही अनोपचारिक बातचीत करने के बाद हम साक्षात्कार की ओर बढ़े। कैमरा लगाया और पहला प्रश्न किया। “आप अपने नाम के पीछे बुद्धिजीवी क्यो लिखते हो?”उन्होंने बड़े ही कम शब्दों में सटीक जवाब दिया “क्योकि कोई और नही लिखता ।” “आप बुद्धिजीवी कैसे बने ?” हमने पूछा। “पूरा तो याद नही बहुत पहले की बात है। पर इतना याद है कि मैं सभी विषयों पर बिना सोचे समझे बयान दिया करता था। मेरी बात सभी से अलग होती तो लोग सोचते कि कुछ सोचकर बोल रहा होगा।” उन्होंने बताया ।”आप अक्सर राजनीतिक मुद्दो पर बोलते रहते हो आपको राजनीति की पूरी समझ है?”हमने पूछा। उन्होंने थोड़ी हसी के साथ मेरी ओर देखते हुए कहा “सही बताऊ तो मुझे राजनीति की उतनी ही समझ है जिनती आज की राजनीति ने नीति बची है। तो लोगो ने आपको बुद्धिजीवी मानना कब शुरू किया?”हमने पूछा। “जब लोगो के पास मानने के अलावा कोई ऑप्शन नही बचा।” उन्होंने बताया। “ये सामान्य जीव और बुद्धि जीव में क्या अंतर है ?” हमने पूछा। “अंतर देखा जाए तो बेसिकली जीव जो होता है उन बातों में नही बोलता जिसकी समझ उसे ना हो ,पर बुद्धिजीवी उन अभी बातों में अपनी राय दे सकते है जिनका उन्हें अ.. आ..भी ना पता हो। सामान्य जीव जब तक उन्हें ना पूछा जाए वह अपनी राय नही बताते और इसकी तुलना में बुद्धिजीवी को देखे तो वो अपनी राय बताने के लिए किसी के पूछने तक का इंतज़ार नही करते ।” उन्होंने बताया। “बुद्धिजीवी बनने के लिए बुद्धि की जरूरत होती है ?” हमने पूछा।”सामान्यतः समान्य जीव में बुद्धिजीवी से अधिक बुद्धि होती है पर वह बुद्धिजीवी नही बन सकता क्योंकि बुद्धिजीवी बनने के लिए बुद्धि नही होना बहुत जरूरी है।”उन्होंने बताया।”तो क्या बिना बुद्धि के बुद्धिजीवी बन सकते है ?” बड़े आश्चर्य के साथ हमने पूछा। “हाँ हाँ क्यो नही बन सकते आपके सामने जीता जागता उदाहरण में बैठा हूँ ।” उन्होंने बड़े ही सौम्य तरीके से बताया । उनका ये जवाब सुनने के बाद हममे और कुछ पूछने की हिम्मत नहीं बची अतः हमने दर्शकों का धन्यवाद किया और कैमरा मेन को कैमरा बंद करने का इशारा किया।
-व्यास योगेश ‘राजस्थानी’

  • ध्यान दें : इस मंच पर प्रतिभागियों द्वारा भेजी गई मौलिक रचनाओं को प्रकाशित किया जाता है। हम इन रचनाओं की मौलिकता की पुष्टि नहीं करते हैं।इस लेख में प्रकट किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं और यह विचार हमारी सोच का प्रतिबिम्बित नहीं करते हैं।
  • चित्र : Toonpool
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