नोक – झोंक
सुधी बाहर से आई तो उसने देखा कि आयुष अकेला खेल रहा है । उसने सोचा की क्यों न उसे...
सुधी बाहर से आई तो उसने देखा कि आयुष अकेला खेल रहा है । उसने सोचा की क्यों न उसे...
सर्दी के दिनों में स्कूल जाने में उसे बड़ा मज़ा आता | अपना बैग टाँगकर और नई महरून रंग की...
किसी ने कहा है कि ज़िन्दगी को बदलते देर नहीं लगती | ठीक ऐसा ही लछमा के साथ भी हुआ...
शौर्य, साहस, स्वाभिमान के उद्गाता : दिनकर “सोचता हूँ, मैं कब गरजा था? जिसे लोग मेरा गर्जन समझते हैं, वह...
पलट रही हूं पन्ने और पढ़ रही हूं कहानियां कुछ जिसमें किरदार हैं जीत है और कहीं हार है राज...
“मैं एक भागता हुआ दिन हूँ और रुकी हुई रात मैं नहीं जानता हूँ मैं ढूंढ रहा हूँ अपनी शाम...
सूख गए हैं गाल पर ढुलके आँसू सीसे में अपनी ही आँखें किसी अँधेरी खोह सी लगने लगी हैं दिनभर...
श्री गणेशाय नमः !! जी। पहले गणेश जी का नाम लिखने का मेरा उद्देश्य वही है जो आप समझ रहे...
मैं चाहता हूँ अपने लिए शहर में एक कोना जहाँ किसी की आवाजाही न हो उस कोने में पड़े हों...
“लीक पर वे चलें जिनके चरण दुर्बल और हारे हैं, हमें तो जो हमारी यात्रा से बने ऐसे अनिर्मित पन्थ...
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